वेद कहते हैं कि जो जन्मा है, वह मरेगा अर्थात जो बना है, वह फना है। वेदों के अनुसार ईश्वर या परमात्मा अजन्मा, अप्रकट, निराकार, निर्गुण और निर्विकार है। अजन्मा का अर्थ जिसने कभी जन्म नहीं लिया और जो आगे भी जन्म नहीं लेगा। प्रकट अर्थात जो किसी भी गर्भ से उत्पन्न न होकर स्वयंभू प्रकट हो गया है और अप्रकट अर्थात जो स्वयंभू प्रकट भी नहीं है। निराकार अर्थात जिसका कोई आकार नहीं है, निर्गुण अर्थात जिसमें किसी भी प्रकार का कोई गुण नहीं है, निर्विकार अर्थात जिसमें किसी भी प्रकार का कोई विकार या दोष भी नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि फिर शिव क्या है? वे किसी न किसी रूप में जन्मे या प्रकट हुए तभी तो उन्होंने विवाह किया। तभी तो उन्होंने कई असुरों को वरदान दिया और कई असुरों का वध भी किया। दरअसल, जब हम ‘शिव’ कहते हैं तो वह निराकर ईश्वर की बात होती है और जब हम ‘सदाशिव’ कहते हैं तो ईश्वर महान आत्मा की बात होती है और जब हम शंकर या महेश कहते हैं तो वह सती या पार्वती के पति महादेव की बात होती है। बस, हिन्दूजन यहीं भेद नहीं कर पाते हैं और सभी को एक ही मान लेते हैं। अक्सर भगवान शंकर को शिव भी कहा जाता है।
शिवपुराण के अनुसार भगवान सदाशिव और पराशक्ति अम्बिका (पार्वती या सती नहीं) से ही भगवान शंकर की उत्पत्ति मानी गई है। उस अम्बिका को प्रकृति, सर्वेश्वरी, त्रिदेवजननी (ब्रह्मा, विष्णु और महेश की माता), नित्या और मूल कारण भी कहते हैं। सदाशिव द्वारा प्रकट की गई उस शक्ति की 8 भुजाएं हैं। पराशक्ति जगतजननी वह देवी नाना प्रकार की गतियों से संपन्न है और अनेक प्रकार के अस्त्र शक्ति धारण करती है। वह शक्ति की देवी कालरूप सदाशिव की अर्धांगिनी दुर्गा हैं।
उस कालरूपी ब्रह्म सदाशिव ने एक ही समय शक्ति के साथ ‘शिवलोक’ नामक क्षेत्र का निर्माण किया था। उस उत्तम क्षेत्र को ‘काशी’ कहते हैं। वह मोक्ष का स्थान है। यहां शक्ति और शिव अर्थात कालरूपी ब्रह्म सदाशिव और दुर्गा यहां पति और पत्नी के रूप में निवास करते हैं। यही पर जगतजननी ने शंकर को जन्म दिया। इस मनोरम स्थान काशीपुरी को प्रलयकाल में भी शिव और शिवा ने अपने सान्निध्य से कभी मुक्त नहीं किया था।
एक अन्य पुराण के अनुसार एक बार ऋषि-मुनियों में जिज्ञासा जागी कि आखिर भगवान शंकर के पिता कौन है? यह सवाल उन्होंने शंकरजी से ही पूछ लिया कि हे महादेव, आप सबके जन्मदाता हैं लेकिन आपका जन्मदाता कौन है? आपके माता-पिता का क्या नाम है?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव ने कहा- हे मुनिवर, मेरे जन्मदाता भगवान ब्रम्हा हैं। मुझे इस सृष्टि का निर्माण करने वाले भगवान ब्रम्हा ने जन्म दिया है। इसके बाद ऋषियों ने एक बार फिर भगवान शंकर से पूछा कि यदि वे आपके पिता हैं तो आपके दादा कौन हुए? तब शिव ने उत्तर देते हुए कहा कि इस सृष्टि का पालन करने वाले भगवान श्रीहरि अर्थात भगवान विष्णु ही मेरे दादाजी हैं। भगवान की इस लीला से अनजान ऋषियों ने फिर से एक और प्रश्न किया कि जब आपके पिता ब्रम्हा हैं, दादा विष्णु, तो आपके परदादा कौन हैं, तब शिव ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि स्वयं भगवान शिव।